जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी |
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं |
One's mother and motherhood are superior to the highest heavens.
"Coming together is the beginning. Keeping together is progress.
Working together is success."
-HENRY FORD
मातृभूमि योजना की परिकल्पना सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के इच्छुक निवासियों, या भारत के अन्य देशों या राज्यों में प्रवासित लोगों के साथ जुड़ने के लिए अपनी पसंद के नाम पर बुनियादी ढाचे, संपत्ति और सेवाओं का निर्माण किया जा सके . दानकर्ता परियोजना लागत का कम से कम 60% वहन करेंगे, जबकि सरकार शेष राशि 40% तक प्रदान करेगी.
यह परिकल्पना की गई है कि सरकार और दानदाताओं के बीच सहयोग से संबंधित ग्राम पंचायतो के विकास के अवसर बढ़ सकते है, नए दृष्टिकोण सामने आ सकते है , प्रौद्योगिकी और डिज़ाइन दक्षता को ताज़ा किया जा सकता है और बदले में काम की गुणवता में वृद्धि हो सकती है.
प्रमुख बिंदु :-
'उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना' के तहत, विदेशों में बसे उत्तर प्रदेश के निवासी अब अपने रिश्तेदारों और पूर्वजों की याद में अपने पैतृक गांवों में सामुदायिक केंद्र , बारात घर और ऐसे अन्य निर्माण कार्य करा सकेंगे.
यह ज्ञात है कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग ग्रामीण परिवेश छोड़ कर आये हैं जो देश के विभिन्न शहरों एवं राज्यों तथा विदेशों में भी रहकर काम कर रहे है. ऐसे लोग उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक गांव के विकास में सहयोग देना चाहते हैं, लेकिन पूर्व में कोई व्यवस्था न होने के कारण वे अपेक्षित सहयोग नही कर पा रहे थे .
योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति, निजी संस्था किसी ग्राम पंचायत में विकास कार्य, बुनियादी सुविधाओ का विकास एवं पंचायती राज अधिनियम की धारा 15 के तहत अनुमत कार्य कराना चाहता है और न्यूनतम 60% वहन करने को तैयार है दान के रूप में कार्य की लागत. यदि हां, तो राज्य सरकार शेष 40% लागत वहन करेगी |
कार्य पूरा होने के बाद उक्त भवन या आधारभूत संरचना सुविधा के शीर्ष पर या सहयोग करने वाले व्यक्ति या संस्था के अनुसार राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आकार एवं प्रकार की पट्टिका लगाई जाएगी.